महिलाओं से सम्बन्धित महत्वपूर्ण समितियाँ तथा कमीशन
(1) महिलाओं की शिक्षा पर दुर्गाबाई देशमुख समिति (1959) ने महत्वपूर्ण व विस्तृत सुझाव दिये तथा यह 5 वर्षीय योजना हेतु एक नीति निर्धारक डाक्यूमेंट बन गया। लड़के व लड़कियों के लिये एक समान पाठ्यक्रम पर जोर दिया गया तथा लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया गया।
(2) एक समान या अन्तर न करने वाला पाठ्यक्रम (undifferentiated curricula) को हंसा मेहता समिति (1964), शिक्षा आयोग (1964-66) तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1968) तथा नयी शिक्षा नीति 1986 (1992 में पुनर्गठित) में जारी रखा गया।
(3) 1974 की महिलाओं के समानता की ओर समिति की रिपोर्ट (Committee on status of Women Towards Equality) ने महिलाओं की जनसंख्या की घटती दर पर निम्न साक्षरता दर तथा शिक्षा तथा उच्च महिला मृत्यु पर, निम्न आर्थिक सहभागिता तथा राजनैतिक प्रक्रियाओं में खराब प्रतिनिधित्व को स्पष्ट किया।
(4) संयुक्त राष्ट्र के विकास का दशक 1975-85 (The UN Development Decade 1975-85) में कई संस्थागत ढांचों का विकास हुआ जैसे महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला विकास संस्थान, महिलाओं को मुख्यधारा में सम्मिलित करना, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं एवं बालकों का विकास, गरीबी हटाने के लिये महिलाओं का विशिष्ट समूह में कार्य करना, कौशल विकास, TRYSEM, ICDS तथा ‘कल्याण’ से ‘विकास’ तथा अंततः ‘सशक्तीकरण का आन्दोलन (8वीं योजना में)
(5) महिलाओं की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan for Woman (1988-2000) के अन्तर्गत शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय जेन्डर एजेन्डा निर्धारित किया गया जिसमें ग्रामीण तथा वंचित महिलाओं पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया।
(6) श्रमशक्ति असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की सीमित पर रिपोर्ट : असंगठित क्षेत्र में कार्यरत 94 प्रतिशत महिला कर्मचारियों के अनुभवों पर आधारित रिपोर्ट ।
(7) ‘राममूर्ति समीक्षा समिति’ ने एक प्रबुद्ध व मानवीय समाज की ओर ग्रामीण तथा वंचित वर्ग की महिलाओं को शिक्षा के अवसरों को पुनः बाँटे जाने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा इसके लिये सहायता सेवायें (पानी, चारा, ईंधन तथा बच्चों की देखभाल) तथा सभी शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के 50% हिस्सेदारी की बात भी कही।
(8) महिला सशक्तीकरण की राष्ट्रीय नीति (2001) The National Policy on Women’s Emprovement इस नीति का उद्देश्य महिलाओं का सशक्तीकरण करना है।
सर्वशिक्षा अभियान क्या है ? सर्वशिक्षा अभियान के लक्ष्यों व कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
विशेषकर इस नीति केउद्देश्यों में निम्नलिखित बिन्दु शामिल हैं –
- महिला के पूर्ण विकास के लिये सकारात्मक आर्थिक तथा विशेष नीतियों द्वारा ऐसा माहौल बनाना जिससे वे अपनी पूर्ण क्षमता का विकास कर पायें।
- महिलायें पुरुषों के समान कानूनी तथा वास्तविक रूप में सभी मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता का सभी क्षेत्रों राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा नागरिक में पूरी तरह उपभोग कर सकें।
- देश की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक जीवन में समान रूप से निर्णय लेने की शक्ति तथा सहभागिता को करना ।
- महिलाओं की चिकित्सा सुविधाओं, सभी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैरियर तथा वोकेशनल गाइडेन्स, रोजगार, समान वेतन, सामाजिक सुरक्षा तथा सार्वजनिक दफ्तर आदि तक समान पहुँचाना सुनिश्चित करना।
- महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव दूर करने के लिये बने सभी कानूनी तंत्र को सुदृढ़ करना।
- स्त्री व पुरुष की सक्रिय सहभागिता से समाज की अभिवृत्तियों तथा समुदाय के चलन को बदलना।
- महिलाओं एवं कन्या शिशु के खिलाफ विभेदीकरण की तथा सभी प्रकार की हिंसा कह मेनस्ट्रीमिंग करना।
- सभ्य समाज के साथ, विशेषकर महिलाओं की संस्थाओं के साथ सहभागिता को निर्मित करना तथा सुदृढ़ करना।
1980 व 1990 में शोध तथा कार्यकर्ताओं के प्रयासों से स्त्रियों के बारे में जानकारी में बढ़ोतरी हुई। महिला अध्ययन का जन्म महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण करने तथा कार्यनीति को सहारा देने के लिये हुआ।
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