जनजातियों का भौगोलिक प्रादेशिक वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।

भौगोलिक या प्रादेशिक वितरण या वर्गीकरण

डॉ. बी. एस. गुहा के मतानुसार भौगोलिक दृष्टि से भारत की जनजातियों को तीन बड़े भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है।

(1) उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र – यह उत्तर में लेह (Leh) और शिमला के पूर्व में लुशाई पर्वतों तक फैला हुआ है। इसमें पूर्वी कश्मीर, पूर्वी पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी उत्तर- प्रदेश और असम के पहाड़ी प्रदेश सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख जनजातियां-गद्दी, गुर्जर, लम्बा, खम्पा, कनोटा, लाहौला, जौनसारी, भूटिया, थारू, नागा, कूकी, खासी, कचाटती, राभा आदि हैं।

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(2) मध्यवर्ती क्षेत्र – यह उत्तरी भारत को दक्षिणी भारत से पृथक् करने वाली तथा गंगा नदी के दक्षिण और कृष्णा नदी के उत्तर में विद्यमान, विंध्याचल, सतपुड़ा आदि पुराने पहाड़ों और पठारों की पट्टी का प्रदेश है। इसमें बंगाल, बिहार, दक्षिणी उत्तर-प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तरी बम्बई और उड़ीसा सम्मिलित हैं। क्षेत्रफल तथा जनजातियों की आबादी की दृष्टि से यह सबसे बड़ा प्रदेश है। इस क्षेत्र में रहने वाले केवल संथालों की संख्या ही 25 लाख है। इस क्षेत्र की अन्य जनजातियां-भुँज, ओरांव, हो, खड़िया, बिरहोर, भुइयां, गॉड, बैगा, कांड, कोटा, चेंचू, वेहिरा, कोरवा, मुण्डा, कोल, भील आदि हैं।

(3) दक्षिणी क्षेत्र – यह क्षेत्र सामान्य रूप से कृष्णा नदी के दक्षिण का प्रदेश है। इस क्षेत्र में जनजातियों की सबसे अधिक संख्या पश्चिमी घाट के पहाड़ों में वाइनाड से कन्याकुमारी तक पाई जाती है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत हैदराबाद, मैसूर, कुर्ग, त्रावणकोर-कोचीन, आंध्र प्रदेश तथा मद्रास आते हैं। अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में भी अनेक जनजातियां निवास करती हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख जनजातियां-चेंचू, कोटा, कुरम्भा, बड़गा, टोडा, कादर, मलायन, पलैयन, उराली, इरूला, पुलयन आदि हैं।

डॉ. श्यामाचरण दुबे ने दूसरी तरह से अपने वर्गीकरण को प्रस्तुत किया है। उनके मानचित्र को निम्न चार प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित अनुसार भौगोलिक दृष्टि से आदिवासी भारत के किया जा सकता है

  1. (1) उत्तरी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र
  2. (2) मध्य क्षेत्र
  3. (3) पश्चिमी क्षेत्र
  4. (4) दक्षिणी क्षेत्र

उत्तरी या उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के मुख्य जनजातीय समूह हैं-भोटिया, थारू, लेप्चा, नागा, गारो, खासी, डाफला, कूकी, आबोर, मिकिर, गुरुंग आदि। इनमें से प्रथम दो उत्तर प्रदेश के हिमालय से लगे क्षेत्र में वास करते हैं। लेप्चा, सिक्किम और समवर्ती भारतीय क्षेत्र के निवासी हैं। शेष जनजातीय समूह असम, उत्तर-पूर्वी सीमांत क्षेत्र तथा कर्मेग नागा पर्वत क्षेत्र में पाए जाते हैं।

मध्य क्षेत्र में जनजातियों की सबसे अधिक संख्या निवास करती है। बिहार के संथाल, मुण्डा, ओरांव और बिरहोर, उत्कल के बोंदों, खोंड, सौरा तथा जुआंग, मध्य-प्रदेश में गॉड, बैगा, कोल, कोकू, कमार, भुंजिया आदि । राजस्थान के भील तथा दक्षिणी पठार के चेंचू, कोलाम, कोआ, राजगोंड समूह आदि इस विस्तृत जनजातीय क्षेत्र के निवासी है।

पश्चिमी क्षेत्र में सह्याद्रि में जनजातीय समूह जैसे वार्ली, कटकरी, महादेव, कोली तथा भीलों के कतिपय समूह आते हैं।

दक्षिण क्षेत्र में अनेक अल्प संख्यक जातीय समूह निवास करते हैं। इनमें टोडा, बडागा, कोटा, इरूला, काहुर, कुरूंबा आदि उल्लेखनीय हैं।

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