ब्रिटेन के संविधान सामाजिक एवं आर्थिक आधारों का वर्णन कीजिये।

यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) का संबिधान- ब्रिटेन यूरोप के पश्चिम में अटलांटिक महासागर के सीने पर पर तैरता हुआ एक द्वीप उत्तर- समूह है। इसमें तीन मुख्य द्वीप है- इंग्लैण्ड, वेल्स और स्कॉटलैण्ड। आयरलैण्ड का एक छोटा-सा हिस्सा उत्तरी आयरलैण्ड भी इसका एक भाग है। यह क्षेत्रफल में 213040 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की जलवायु संतुलित है। इसकी मुख्य भाषा अंग्रेजी है। ब्रिटेन की अधिकांश जनता ईसाई है। ईसाई धर्म में प्रोटेस्टेन्ट अधिक है। रोमन कैथोलिक भी है।

कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य तथा कांग्रेस के इतिहास का चरण के बारे में पूरी जानकारी

ग्रेट ब्रिटेन मुख्य रूप से एक औद्योगिक देश है। जब अधिकांश विश्व को ब्रिटेन ने अपना गुलाम बना रखा था तो गुलाम देशों से कच्चा माल व सम्पत्ति अपने देश ले जाकर ब्रिटेन का औद्योगीकरण किया गया। तत्कालीन ब्रिटिश आर्थिक नीतियाँ शोषणकारी थी, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन का आर्थिक विकास तेजी से हुआ। वर्तमान समय में ब्रिटिश साम्राज्य ध्वस्त हो चुका है परन्तु एक चीज है जो आज भी पूरे गौरव से विद्यमान है। वह है- ब्रिटेन का संविधान।

ब्रिटिश समाज अत्यधिक परिवर्तनशील नहीं है। प्रजातंत्र की जन्मभूमि होने के कारण ब्रिटेन स्वभावतः राजनीतिक दलों की भी जन्मभूमि रहा है | यो तो ब्रिटेन में राजनीकि गुटबन्दियाँ पहले से भी रही है। जैसे 15वीं शताब्दी में लैकास्ट्रियन या यार्किस्ट या सत्रहवीं शताब्दी में कैवलियर और राउण्डहैड थे, परन्तु इन्हें सही अर्थों में राजनीतिक दल नहीं कहा जा सकता। विशुद्ध राजनीतिक दलों का उदय प्रजातंत्रीय पद्धति के साथ ही संभव था और इसलिये 1688 की क्रान्ति के बाद ही दो विशुद्ध राजनीति दलों की समाज में नींव पड़ी जिन्हें ह्रिग और टोरी का नाम दिया गया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सम्बन्धी मतों का उल्लेख कीजिए |

1688 के बाद लगभग 1650 वर्ष तक ये दोनों दल बारी-बारी से शासन का संचालन करते रहे। 1832 का सुधार अधिनियम पारित किये जाने के बाद ह्रिग और टोरी दलों के द्वारा उदार और अनुदार दल के नाम ग्रहण किये गये। इन दोनों दलों में समाज के सामयिक प्रश्नों पर मतभेद रहता था किन्तु देश के आर्थिक और राजनीतिक ढाँचे पर इनमें मतैक्य था दोनों दल व्यक्तिगत सम्पत्ति, पूँजीवादी व्यवस्था और संविधान की मूल बातों पर सहमत थे और दोनों का नेतृत्व उच्चवर्गीय लोगों के हाथों में था।

बीसवीं सदी के प्रारम्भ में एक नवीन विचारधारा और दृष्टिकोण के साथ ब्रिटिश समाज में एक नये दल का प्रादुर्भाव हुआ जिसका नाम था मजदूर दल। प्रथम महायुद्ध ने वस्तुस्थिति में बहुत परिवर्तन कर दिया। युद्ध के कारण उत्पन्न असंतोष, मताधिकार के विस्तार और सिडनी वैब तथा मैकडानल्ड जैसे नेताओं के प्रयत्नों से मजदूर दल की शक्ति में तेजी से वृद्धि हुई और 1924 में इसे अपना प्रथम मन्त्रिमण्डल बनाने का अवसर प्राप्त हुआ। धीरे-धीरे ब्रिटिश समाज में उदार दल का प्रभाव घटने लगा और मजदूर दल प्रभावी होने लगा। अब फिर से वास्तव में ब्रिटिश राजनीति में रूढ़िवादी और मजदूर दल, दो दल प्रभावी रह गये अनुदार दल निजी सम्पत्ति, संस्थापित चर्च, राजमुकुट, साम्राज्य और देश पर पूँजीपति व कुलीन वर्ग के प्रभुत्व का समर्थक है।

अनुदार दल जिन सामाजिक संस्थाओं का समर्थन करता है, उनमें राजमुकुट, राष्ट्रीय एकता, चर्च, एक शक्तिशाली शासक श्रेणी और व्यक्तिगत सम्पत्ति की राज्य के नियन्त्रण से स्वतन्त्रता है। वैदेशिक क्षेत्र में रूढ़िवादी दल ब्रिटिश अहं की अथक चेष्टा की रूढ़िवादी दल का विश्वास था कि सर्वश्रेष्ठ अंग्रेज जाति का कर्तव्य संसार भर की पिछड़ी जातियों को सभ्य बनाना है परन्तु इसकी आड़ में ब्रिटेन की सामाजिक-आर्थिक उन्नति व गुलाम देशों का आर्थिक सामाजिक शोषण ही किया गया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का वर्णन कीजिये

‘स्पष्ट है कि ब्रिटेन की आर्थिक समृद्धि का आधार गुलाम देशों का शोषण रहा ब्रिटिश जाति स्वाभावतः रूढ़िवादी है। यह शीघ्र बदलाव नापसंद करती है। यही कारण है कि व्यवहार में ब्रिटिश शासन लोकतंत्रीय होते हुए भी सिद्धान्त में राजतंत्रात्मक है। ब्रिटेन के संविधान का विकास हुआ है। वह मुख्यतः अलिखित है। वहाँ समाज में लिखित संविधान नहीं है किन्तु सच्चे अर्थों में संविधानवाद मौजूद है।

ब्रिटिश चरित्र ने समाज में एक आदर्श प्रस्तुत किया है कि लोग अपने सिद्धान्तों पर दृढ़ हैं इसलिये वहाँ दल-बदल नहीं पाया जाता मजदूर दल के समाजवाद की प्रेरणा मार्क्सवादी दर्शन नहीं है समाज में वे सुधार क्रमिक हों, आर्थिक नीति का संचालन नागरिकों को आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त करके देना चाहते हैं। 1951 के बाद मजदूर दल ने राष्ट्रीयकरण के स्थान पर समाजीकरण पर बल देना आरम्भ किया जिसका तात्पर्य यह है कि उद्योग चाहे व्यक्तिगत स्वामित्व के क्षेत्र में रहें उनका संचालन सामाजिक हित की दृष्टि से होना चाहिये। 1980 के बाद मजदूर दल ने इस सच्चाई को समझ लिया कि दल के लिये अपने आधार को व्यापक बनाने की आवश्यकता है तथा इसके लिये वामपंथ का परित्याग कर मध्यम वर्ग की ओर बढ़ना होगा और 1997 तक की विजय यात्रा तक मध्यम वर्ग को सम्पूर्ण अर्थों में अपना लिया है। दल का आधुनिकीकरण करके उसे ब्रिटेन के सामाजिक आर्थिक आधार को मजबूत करने का प्रयत्न किया गया है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top