प्राचीन काल में स्त्री शिक्षा पर टिप्पणी लिखिए।

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प्राचीन काल में स्त्री शिक्षा पर टिप्पणी प्राचीनकाल में स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार था। परिवार में नित्य पंच यज्ञ आयोजित किये जाते थे। इन यज्ञों की सफलता के लिए महिला तथा पुरुष दोनों का उसमें सम्मिलित होना आवश्यक था। यज्ञों को पूर्ण करने के लिए शिक्षित होना आवश्यक था। अतः स्त्रियाँ पढ़ी-लिखी हुआ करती थीं। स्त्रियाँ पुरुषों के समान ही ब्रह्मचर्य रहते हुए विद्याध्ययन किया करती थीं। उस कॉल मैं अनेक विदुषी महिलाएँ हुई हैं जिसमें विश्वतारा, घोषा, लोपा, अयासा, गार्गी, मैत्रेयी आदि के नाम प्रमुख हैं। राजनीति दर्शन, युद्ध विद्या तथा वेद मीमांसा आदि के क्षेत्र में भी स्त्रियों की पहुँच थीं।

वैदिक काल में शिक्षा का क्या अर्थ था

मंडन मिश्र की पत्नी शंकराचार्य तथा मण्डन मिश्र के शास्त्रार्थ में निर्णायक थी। स्त्रियाँ ललित कलाओं, नृत्य, संगीत, काव्य, चित्रकला आदि में भी अग्रणी थीं। उत्तर वैदिक काल के बाद स्त्रियों की शिक्षा पर प्रतिबन्ध आने लगे और धीर-धीरे उन्हें उपनयन संस्कार से वंचित कर दिया गया। इस तरह उनकी शिक्षा में क्रमशः कमी आती गयी।

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