पुष्यभूति वंश के विषय में आप क्या जानते हैं?

पुष्यभूति वंश पहले गुप्तों के सामन्त थे, किन्तु छठी सदी के आरम्भ में हूणों के आक्रमण के बाद वे स्वतंत्र हो गये थे। ‘हर्षचरित’ में बाणभट्ट ने लिखा है कि थानेश्वर में इस वंश की स्थापना पुष्यभूति नामक शासक ने की थी और उसी के नाम पर ये वंश-परम्परा चली। परन्तु किसी अन्य स्रोत से इस बात की पुष्टि नहीं होती। विभिन्न स्रोतों में प्रभाकरवर्द्धन के कुछ पूर्ववर्ती पुष्यभूति राजवांश के शासकों का भी उल्लेख है, परन्तु सम्भवतः इस वंश का प्रथम प्रतापी शासक प्रभाकर वर्द्धन था। उसके दो पुत्र थे

  • (1) राज्यवर्द्धन एवं
  • (2) हर्षवर्द्धन।

राज्य बर्डन की गौड़ नरेश शशांक ने हत्या कर दी थी। इसके पश्चात हर्ष वर्द्धन शासक हुआ। हर्ष ने 606 ई. में सत्ता संभाली और 40 वर्षों तक शासन किया। इस वंश की राजधानी कन्नौज थी। हर्ष निःसन्तान था। अतः उसके बाद इस वंश का अन्त हो गया।

राजपूतों की पराजय के कारण लिखिये।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top