पारिवारिक अवस्था का बाल विकास में क्या महत्व रखती है?

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पारिवारिक अवस्था

परिवार की व्यवस्था यथा-परिवार की जीवन पद्धति, परिवार के सदस्यों की प्रकृति, आर्थिक और सामाजिक स्थिति इत्यादि के कारण परिवार की स्थिति अच्छी भी होती है और खराब भी परिवार की प्रवृत्ति एक सामाजिक समूह से दूसरे सामाजिक समूह में भिन्न पायी जाती है। परिवार की व्यवस्था में अंतर होता है- जैसे, पति-पत्नी के संबंध, अभिभावकों की भूमिकाओं के मूल्यों, व्यय के तरीकों, बच्चों के पोषण की विधियों, अनुशासन आदि में मित्रता पायी जाती है। जब बालक पर्याप्त बड़ा हो जाता है तो यह अपने परिवार के सामूहिक स्तर को पहचानने लगता है, इससे उसके अभिभावकों के प्रति बनने वाली अभिवृत्ति प्रभावित होती है। उच्च सामाजिक स्तर वाले पिता के प्रति बालक का बहुत अच्छा दृष्टिकोण विकरित होता है जिसका यह अपने साथी समूहों में बखान करता है। इससे जिस साथी के पिता का सामाजिक स्तर निम्न होता है और पिता के प्रति सम्मान भाव कम होता है जिसका प्रभाव पारिवारिक संबंधों पर पड़ता है।

इसी प्रकार पिता के व्यवसाय तथा कामकाजी (Working) माता का भी प्रभाव बालक के संबंधों पर पड़ता है। पिता यदि शिक्षा या अन्य ऐसे व्यवसाय से जुड़े हैं वे बालक पर अधिक ध्यान दे सकते हैं तथा तदनुरूप प्रयास कर सकते हैं, तो बालक का पिता के साथ सामंजस्य अच्छा रहता है। लेकिन यदि माता-पिता ऐसे व्यवसाय से जुड़े हैं जहाँ से उन्हें बालक के साथ रहने-समझने तथा समय बिताने का अवसर नहीं मिलता है, तो बालक अकेला और उपेक्षिति अनुभव करता है जिससे पारिवारिक संबंधों में बिखराव आता है। प्रायः एकीकृत परिवारों में यह दशा बहुत अधिक दिखाई देती है। अतिथियों का भी परिवार के संबंधों पर प्रभाव पड़ता है जिस परिवार में अतिथि अधिक आते हैं तो प्रथम परिवार पर अधिक बोझ पड़ता है, दूसरे कार्य का बोझ पड़ता है तथा तीसरा उनके साथ अंतः क्रिया से उत्पन्न व्यवहारों से परिवार के संबंध प्रभावित होते हैं।

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वर्तमान में अर्थाभाव का संकट बढ़ रहा है। उसका कारण परिवार की आवश्यकतायें बढ़ती जा रही हैं। इन आवश्यकताओं को बढ़ाने का काम जनसंचार माध्यम कर रहे हैं। ऐसी दशा में युवा दंपत्ति बड़े-बूढ़ों को साथ नहीं रखना चाहते हैं। यदि ये बड़े-बूढ़े साथ रहते हैं तो संबंधों में तनाव उत्पन्न होते हैं। इन बड़े-बूढ़े से बालक भी अब कहानियाँ नहीं सुनना चाहते, क्योंकि कहानियाँ उनकी रूचि की नहीं हैं। नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में उम्र अंतराल का संघर्ष आदर्शों और मूल्यों में अधिक दिखायी पड़ता है, जिससे परिवार के संबंध प्रभावित होते हैं।

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