नेल्सन के निम्न सन्तुलन पाश सिद्धान्त से क्या आशय है ?

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What is meant by Nelson’s low equilibrium loop theory?-आर. आर. नेल्सन ने अर्द्धविकसित देशों के लिये निम्नस्तरीय सन्तुलन अवरोध का सिद्धान्त विकसित किया। उन्होंने अपने सिद्धान्त में बताया कि किसी देश की प्रति व्यक्ति आय के न्यूनतम जीवन निर्वाह स्तर से बढ़ जाने पर जनसंख्या बढ़ने लगती है परन्तु जब जनसंख्या की वृद्धि दर एक उच्च भौतिक सीमा” पर पहुँच जाती है तो प्रति व्यक्ति आय में और वृद्धि होने पर यह गिरने लगती है।

👉कार्ल मार्क्स का रेखीय सिद्धान्त अथवा सामाजिक परिवर्तन का रेखीय सिद्धान्त।

नेल्सन के अनुसार अर्द्धविकसित देशों के रोग की पहचान यह है कि वह प्रति व्यक्ति आय का इस प्रकार स्तर है जो आवश्यक आवश्यकताओं या उनके निकट पहुँचकर स्थिर हो जाता है। प्रति व्यक्ति आय के स्थिर होने पर बचत और विनियोग अत्यन्त नीचे स्तर पर रहते हैं, यदि कुल राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर बढ़ाकर बचत व विनियोग को बढ़ाया जाये तो उनके साथ जनसंख्या वृद्धि दर बढ़ती हैं और प्रति व्यक्ति आय को नीचे लाकर उसको स्थिर साम्य तक पहुँचा देती है। इस प्रकार अर्द्धविकसित अर्थव्यवस्थायें निम्न स्तरीय सन्तुलन अवरोध में फंस जाती है।

नेल्सन मॉडल के निम्न स्तरीय सन्तुलन अवरोध से बचने के साधन

निम्न स्तरीय सन्तुलन अवरोध से बचने के साधन- नेल्सन ने निम्न स्तरीय सन्तुलन अवरोध से बचने के निम्नलिखित सुझाव दिये हैं-

👉व्यापार चक्रों के कारण स्पष्ट कीजिए।Explain the reasons for business cycles

  1. देश में अनुकूल व राजनीतिक वातावरण का सृजन करना चाहिए।
  2. अधिक उत्पादन के लिये प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
  3. परिवार के आकार को सीमित रखने के लिये आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए।
  4. विद्यमान साधनों को अधिक पूर्णता से उपयोग में लाने के लिये उन्नत तकनीकों को काम में लाया जाना चाहिए।
  5. आय के वितरण में परिवर्तन लाने के लिये कदम उठाये जाने चाहिए। ताकि विनियोजक धन संचय कर सकें।
  6. एक मापक सरकारी विनियोग कार्यक्रम होना चाहिए।
  7. विदेशों से कोष प्राप्त करके आय तथा पूंजी बढ़ानी चाहिए।

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