नगरीकरण और नगर की अवधारणा की विवेचना कीजिए ?

नगर का अवधारणा

नगर एक ऐसा स्थान है जहाँ मानव एक विकसित जीवन व्यतीत करता। है। नगर शब्द अंग्रेजी भाषा के City शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। अंग्रेजी भाषा का City शब्द लैटिन भाषा के सिविटाज शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ नागरिकता है। नगर शब्द के लिए लैटिन भाषा में कभी-कभी Urbs शब्द का भी प्रयोग किया जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ शहर है। यहाँ व्यक्ति कृषि के अतिरिक्त अनेकों अन्य व्यवसाय भी करता है।

इस प्रकार नगर वह सम्पूर्ण समाज है जहाँ जनसंख्या बहुत अधिक होती है। वहाँ सामान्यतः सामुदायिक भावना की कमी होती है। अनेक समाजशात्रियों की मान्यता है कि व्यवसाय, पर्यावरण, जनसंख्या गतिशीलता, अन्तःक्रिया, विभेदीकरण तथा विजातीयता या विषमता नगरीय जीवन की विशेषताएँ हैं। अतः नगर एक ऐसा समुदाय है जहाँ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषमता, जनसंख्या का अधिक घनत्व, नियन्त्रण के औपचारिक साधन, कृत्रिमता, व्यक्तिवाद की प्रधानता प्रतिस्पर्धा, संघर्ष एवं विभेदीकरण प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।

क्षेत्रीयतावाद की प्रकृति बताइए।

नगरीकरण की अर्थ

विभिन्न विद्वन ने नगरीकरण के अर्थ को विभिन्न दृष्टिकोण से स्पष्ट किया है। पहला मत यह है कि नगरीकरण का अर्थ परम्परागत सामाजिक संस्थाओं और व्यवहार के तरीकों की जगह व्यवहार के नगरीय ढंगों को ग्रहण करना है दूसरे मत को स्पष्ट करते हुए बर्गेल ने लिखा है, “ग्रामीण क्षेत्रों का नगरीय क्षेत्रों में बदलने की प्रक्रिया का नाम ही नगरीकरण है।” तीसरी विचारधारा विर्थ के विचारों पर आधारित है। उनके अनुसार नगरीकरण का अर्थ नगरीयता अथवा नगरवाद में वृद्धि होना है। इस प्रकार विर्थ ने नगरीय जीवन-पद्धति को स्पष्ट करने के लिए ‘नगरीयता’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि नगरीयता का तात्पर्य एक विशेष जीवन-विधि से है जिसमें व्यक्तिवादिता परिवर्तनशीलता, द्वितीयक सम्बन्धों और नए विचारों का प्रभाव बढ़ने लगता है। इन विचारों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नगरीकरण एक दोहरी प्रक्रिया है। इसका तात्पर्य है कि ग्रामीण जनसंख्या में वृद्धि होने को हम नगरीकरण कहते हैं।

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