जाति प्रथा के गुण (लाभ)
- प्राचीन वर्ण व्यवस्था के द्वारा नस्ल और रक्त की शुद्धता बनी रहती थी, क्योंकि कोई भी व्यक्ति एक वर्ण से दूसरे वर्ण में नहीं जा सकता था, इस प्रकार रक्त पवित्रता बनी रहती थी।
- जाति व्यवस्था के कारण प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार कार्य करता था। किसी व्यक्ति के ऊपर कोई बन्धन नहीं था।
- वर्ण व्यवस्था के कारण समाज चार वर्गों में बंट गया था, जिसके कारण सभी वर्गों के कार्यों का विभाजन हो गया था।
- वर्ण व्यवस्था पैतृक व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है। क्योंकि पुत्र अपने पिता की मृत्यु के बाद उसके व्यवसाय को अपना लेता था, अतः कला के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति हुई।
समाज सदैव परिवर्तनशील एवं जटिल व्यवस्था है। स्पष्ट कीजिए।
जाति प्रथा के दोष (हानियाँ)
- जाति व्यवस्था के द्वारा हिन्दुओं में संकीर्णता की भावना ने जन्म लिया जिससे उसके हृदय में राष्ट्र प्रेम की भावना कम हो गई तथा राष्ट्रीय विकास को आघात लगा ।
- जाति व्यवस्था जन्म के आधार पर होने के कारण एक वर्ण दूसरे वर्ण से अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने लगा फलतः समाज में लोग एक दूसरे से द्वेष की भावना रखने लगे।
- जाति व्यवस्था के परिणामस्वरुप व्यक्तियों को अपने ज्ञान और विवेक प्रदर्शन करने का समय नहीं मिला क्योंकि ब्राह्मण और क्षत्रिय पढ़ लिख गए परन्तु शूद्र निरक्षर ही रहे अतः उनको उन्नति नहीं हो सकी।
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