जनजाति का अर्थ :-
सामान्य अर्थ में जनजातियों से आशय उन मानव समूहों से लिया जाता है जो मानव पर्वतीय वन क्षेत्र तथा दुर्गम स्थानों में समूह बनाकर निवास करते हैं और अपनी परम्परागत संस्कृति की पूर्ण रूप से रक्षा करते हैं। इनकी अपनी परम्पराएं, खान-पान, रीति-रिवाज, रहन-सहन वेषभूषा एवं भाषा बोली आदि होती है। इन्हें जनजातीय समाज कहाजाता है। समाजशास्त्रीय व मानवशास्त्रियों ने इन्हें अलग-अलग नाम से सम्बोधित किया है, जैसे- सोर्बट, माटिन, रिसके एवं सेल्जविक आदि समाज विद्वानों ने इन्हें’ आदिवासी’ कहा है।
जनजाति की परिभाषा:
जनजाति की परिभाषा:-जनजाति को और सही रूप से समझने के लिए विद्वानों ने जनजाति को परिभाषित किया है। विद्वानों द्वारा दी गयी जनजाति की प्रमुख परिभाषायें इस प्रकार हैं
(1) डॉo मजूमदार के अनुसार:-“एक जनजाति परिवारों या परिवारों के समूह का एक संग्रह है जिसका एक सामान्य नाम होता है। जिसके सदस्य एक निश्चित भू-भाग पर निवास करते हैं तथा सामान्य भाषा बोलते हैं व विवाह, व्यवसाय तथा व्यापार के विषय में कुछ निषेधों का पालन करते हैं और एक निश्चित तथा उपयोगी परस्पर व्यवस्था का विकास करते हैं”
(2) गिलिन एवं गिलिनः “स्थानीय आदिम समूहों के किसी भी संग्रह की जो एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो एक सामान्य भाषा बोलता हो तथा एक सामान्य संस्कृति का अनुसरण करता हो, एक जनजाति कहा जा सकता है।”
(3) इ०एन० हॉबला :-“एक जनजाति एक सामाजिक समूह का प्रतिनिधित्व करतो है जो सामान्य भाषा बोलता है एवं संस्कृति विशेष में रहता है जो उन्हें दूसरे जनजाति समूहों से पृथक करती है।”
(4) लिण्टन के अनुसार- “साधारण रूप में जनजाति खानाबदोशी झुण्डों का एक सम है जो एक भू-भाग पर रहता है तथा जो संस्कृति समानताओं सतत सम्पर्कों तथा एक निश्चि सामाजिक हितों की भावना के आधार पर एकता की भावना रखता हो।”
जनजातियों के लक्षण अथवा विशेषतायें :
जनजातियों की प्रमुख विशेषतायें अथकलक्षण निम्न हैं
(1) सामान्य बोली या भाषा – प्रत्येक जनजाति की सामान्य बोली या भाषा होती है जिसका प्रयोग पारस्परिक विचारों के आदान-प्रदान में किया जाता है। इनकी भाषा अलिखित पर आधुनिक समय में अनेक जनजातीय समूह सभ्य समाज के संपर्क में आने के फलस्वरूप अपनी भाषा या बोली के साथ ही अन्य भाषा या बोलियाँ भी बोलते देख जा सकते हैं।
(2) सामान्य नाम – प्रत्येक जनजाति का एक सामान्य नाम होता है जिसके माध्यम से बह जानी पहचानी जाती है। यह भी जनजाति की एक प्रमुख विशेषता है। जैसे गारो, खासी आदि।
(3) निश्चित भू-भाग- जनजाति अपना जीवन एक निश्चित एक निश्चित भू-भाग में व्यतीत करती है। कुछ जनजाति समूह की प्रवृत्ति घुमक्कड़ होती है लेकिन उन्हें भी जनजाति क जाता है वास्तविकता यह है कि घुमक्कड़ होने के बाद भी इनका एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होताहै, जहां ये घूमती रहती है। निश्चित भू-भाग प्रत्येक जनजाति की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
(4) रक्त सम्बन्धों की प्रधानता- जनजातीय समाज में रक्त सम्बंधों की प्रधानता पायी जाती है। जनजातियाँ एक निश्चित भू-भाग में रहते हुए अपना जीवन गुजार देती है जिसके कारण इनमें आपसी प्रेम होता है। अधिकांशतः सदस्य रक्त सम्बन्धों के कारण एक दूसरे से रिश्ते नाते मैं भी जुड़े रहते हैं।
(S) नियमों तथा निषेधों की परम्परा – प्रत्येक जनजाति में नियमों तथा निषेधों की परम्परा होती है। जनजातियों अनेक परिवारों का संयुक्त रूप होने के कारण तथा रक्त सम्बन्धों से जुड़े होने के कारण सामाजिक जीवन एवं सांस्कृति जीवन कुछ नियमों तथा निषेधों से बंधा रहता है। अतः अधिकांशत: जनजाति सदस्यों का जीवन नियमों व निषेधों में गुजारना पड़ता है।
(6) अन्तर्विवाही समूह- जनजाति एक अन्तर्विवाही समूह होता है अर्थात किसी भी सदस्य को अपनी जनजाति के बाहर विवाह करने की अनुमति नहीं दी जाती है। कुछ विद्वानों और विशेषकर बोगार्डस ने जनजाति के सदस्यों को ‘समान रक्त से सम्बन्धित समूह’ कहकर परिभाषित कर दिया है। यह धारणा भ्रान्त है। जैसा कि डॉ. मजूमदार का कथन है, “एक जनजाति का निर्माण अनेक गौत्र क्षेत्र समूहों (अर्थात विभिन्न रक्त के व्यक्तियों) से मिलकर होता है।’
(7) सामान्य संस्कृति – प्रत्येक जनजाति के सदस्य एक सामान्य संस्कृति में रहते हैं और इसी संस्कृति से सम्बन्धित नियमों का पालन करती है। जनजाति के सांस्कृति नियमों के अवहेलन करने पर व्यक्ति को कठोर दण्ड दिया जाता है।
(8) आर्थिक आत्मनिर्भरता – जनजाति एक स्वतन्त्र और आत्मनिर्भर और आर्थिक संरचना पर निर्भर होती है। जीवन की लगभग सभी आवश्यकताओं से सम्बन्धित वस्तुओं का सदस्य स्वयं उत्पादन करते रहे हैं और प्रत्येक व्यक्ति से यह आशा की जाती है कि वह खेती करने से लेकर अपने हथियारों अथवा अन्य उपयोगी पदार्थो को बनाने तक का काम स्वयं ही करेगा।
(9) एकता वह हम की भावना – जनजातियों में एक निश्चित भू-भाग में रहने के कारण एकता और हम की भावना पायी जाती है। जिससे प्रेरित होकर वे एक-दूसरे के दुख-सुख में सहयोग तथा सहायता करते हैं इस प्रकार एकता व हम की भावना जनजातीय समुदाय की प्रमुख विशेषता है
(10) धर्म का महत्व-प्रत्येक जनजाति को अपना विशेष धर्म होता है जिसमें अपनी अलग पूजा पद्धति और धार्मिक कर्मकाण्डों होते हैं। अनेक अवसरों पर जनजातियों में धर्म का महत्व स्पष्ट नजर आता है।
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