जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के कारण
जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के कारण निम्नलिखित हैं
(1) आरक्षण सुविधाएँ
आरक्षण सुविधाओं द्वारा भी जनजातीय महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। पंचायतों में एक-तिहाई आरक्षण, शिक्षा एवं रोजगार में आरक्षण से जनजातीय महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है।
(2) विकास कार्यक्रम –
विकास कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप जनजातीय महिलाओं की प्रस्थिति में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम अनेक ऐसी योजनाएं चला रहा है जो जनजातीय महिलाओं की प्रस्थिति में सुधार हेतु सहायक है। इन योजनाओं में शैक्षिक योजनाएँ, छात्रावास योजनाएँ, उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र, छात्रवृत्ति, कन्या साक्षरता प्रोत्साहन, निःशुल्क गणवेश, निःशुल्क साइकिल प्रदाय योजना, राहत योजना, सामूहिक विवाह योजना, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना आदि प्रमुख हैं।
(3) बाहरी सम्पर्क –
बाहरी सम्पर्क के परिणामस्वरूप जनजातीय महिलाओं की प्रस्थिति में आधारभूत परिवर्तन हुआ है। अनेक विद्वानों का यह मत है कि इससे उनकी प्रस्थिति हिन्दू-महिलाओं की भांति पहले की तुलना में निम्न हो गई है। फिर भी, बाहरी सम्पर्क के कारण जनजातीय महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति अधिक सचेत हुई है तथा वे अपनी प्रस्थिति को शिक्षा एवं रोजगार के माध्यम से ऊंचा करने में प्रयासरत हैं।
(4) संवैधानिक प्रावधान –
संविधान द्वारा प्राप्त प्रावधानों द्वारा जनजातीय महिलाओं की प्रस्थिति में सुधार हुआ है। यह प्रावधान उनकी शैक्षिक एवं आर्थिक हितों की रक्षा करते हैं तथा सभी प्रकार के शोषण एवं सामाजिक अन्याय से बचाते हैं।
(5) शिक्षा का विस्तार –
जनजातियाँ शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ी हुई हैं। इनमें महिलाओं की स्थिति तो और भी शोचनीय है। अब शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार से जनजातीय महिलाओं में शिक्षा का प्रचलन होने लगा है जिससे उनकी प्रस्थिति में सुधार हुआ है। सभी राज्यों में अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ गैर तकनीकी एवं गैर-व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के विभिन्न स्तरों के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। उनके लिए छात्रावासों का भी निर्माण किया गया है।
शिक्षा का सामाजिक जीवन में क्या कार्य है?
परिवर्तन के उपर्युक्त कारणों के परिणामस्वरूप जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति सामान्यतः ऊँची हुई है, फिर भी बाहरी सम्पर्क के परिणामस्वरूप जनजातीय महिलाओं की प्रस्थिति, जो पहले हिन्दू महिलाओं से ऊँची मानी जाती थी, में ह्रास हुआ है। यह भी सत्य है कि जनजातीय महिलाओं में शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार हो रहा है तथा वे रोजगार की ओर भी उन्मुख हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ जनजातीय महिलाओं को मिल रहा है जो उन्हें सशक्तिकरण की ओर ले जा रहा है।