जनजातियों के कल्याण हेतु कौन-कौन सी संवैधानिक व्यवस्थाएँ लागू की गई ?

जनजातियों के कल्याण हेतु निम्नलिखित संवैधानिक व्यवस्था लागू की गई

  1. संविधान के अनुच्छेद 15(1) के अनुसार राज्य किसी नागरिक के साथ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, आदि के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
  2. अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता का अन्त कर उसका किसी भी रूप में प्रचलन निषिद्ध कर दिया गया है।
  3. अनुच्छेद 19 के आधार पर अस्पृश्यों या अनुसूचित जातियों की व्यावसायिक निर्योग्यता को समाप्त किया जा चुका है और इन्हें किसी भी व्यवसाय को अपनाने की आजादी प्रदान की गयी है।
  4. अनुच्छेद 25 में हिन्दुओं के सार्वजनिक धार्मिक स्थानों के द्वार सभी जातियों के लिए खोल देने की व्यवस्था की गयी है।
  5. अनुच्छेद 29 के अनुसार राज्य द्वारा पूर्व या आंशिक सहायता प्राप्त किसी भी शिक्षण संस्था में किसी भी व्यक्ति को धर्म, जाति, वंश या भाषा के आधार पर प्रवेश से नहीं रोका जा सकता।
  6. अनुच्छेद 330, 332 और 334 के अनुसार अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए संविधान लागू होने के 20 वर्ष तक लोकसभा, विधानसभा, ग्राम पंचायतों व स्थानीय निकायों में स्थान सुरक्षित रहेंगे। बाद में यह अवधि दस-दस वर्ष के लिए तीन बार और बढ़ा दी गयी।
  7. अनुच्छेद 335 के अनुसार नियुक्तियों में इन जातियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा।
  8. अनुच्छेद 146 व 338 के अनुसार अनुसूचित जातियों के कल्याण व हितों की रक्षा के लिए राज्य में सलाहकार परिषदों एवं पृथक विभागों की स्थापना का प्रावधान।

संस्था का क्या अर्थ है? संस्था की प्रमुख विशेषताओं एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top