ग्राम या गांव के प्रमुख प्रकार
- (1) स्थान परिवर्तनीय ग्राम- इन ग्रामों की अवस्थापना कृषि के साथ-साथ परिवर्तित हो जाती है। इन ग्रामों की अवधि अल्पकालीन होती है। इस प्रकार ये गांव बिल्कुल अस्थायी होते हैं। इनको स्थानातंरित गांव भी कहा जा सकता है।
- (2) अर्ध स्थायी कृषि ग्राम- इस प्रकार के ग्राम भूमि की उर्वरा शक्ति पर आधारित होते हैं। जब तक भूमि के समीप पानी व सिंचाई के साधन उपलब्ध होते हैं तब तक ये ग्राम भी अपना अस्तित्व रखते हैं। कृषि व क्षुधापूर्ति की सुविधाओं का अभाव होने से ये गांव समाप्त हो जाते है।
- (3) स्थायी कृषि ग्राम- इस प्रकार के गांवों में जनसंख्या की अवस्थापना पीढ़ी दर पीढ़ी व शताब्दी दर शताब्दी तक स्थायी रहती है। बिना विशेष परिवर्तन के ये गांव अपने स्थान पर स्थायी रहते है।
भारत में आधुनिक समाजशास्त्र के प्रादुर्भाव की विवेचना कीजिए।
ग्राम या ग्राम समुदाय
मनुष्यों का वह समूह है जो एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र में सामान्य सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक जीवन व्यतीत करता है। इस समुदाय की जनसंख्या का आकार और घनत्व अपेक्षाकृत कम होता है और इसके निवासियों में अनौपचारिक, प्राथमिक और आत्मीयतापूर्ण सम्बन्ध होते हैं तथा वे मुख्य रूप से खेती से संलग्न हस्तकलाओं के द्वारा जीवकोपार्जन करते हैं। ग्राम एक लघु समुदाय है जिसमें अधिकांशतः कृषक समाज निवास करता है जिसके बाह्य आचरण में स्पष्ट अनुरूपता तथा आन्तरिक जीवन में स्वाभाविक एकता पायी जाती है।
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