गाँव की परिभाषा और गाँव की प्रमुख विशेषताये क्या है?

गांव की परिभाषा –

गांव की परिभाषा -इरावती कर्वे के अनुसार, “एक आकस्मिक अवलोकनकर्ता के लिए एक क्षेत्रीय निवास गांव कहलाते हैं जहां अधिकांश रूप से खेती हो और इन खेतों का वितरण हो गया हो और कई रूपों में विभिन्नता आ गई हो और अब भी वे गांव कहलाते हैं। जो गांवों में रहते हैं अथवा उनके पड़ोसी हों वे अपने उद्देश्यात्मक सीमा व विषयात्मक विचार रखते हैं।”

सिम्स के अनुसार, “गांव वह नाम है जो प्राचीन कृषकों की स्थापना को साधारणतः दर्शाता है। इन्होंने पुरातन संस्कृति के सामाजिक संगठन को ग्राम बताया है। इनके अनुसार मानवोदय से ही संगठन का कोई न कोई रूप हमें अवश्य दिखाई देता है। लेकिन इन संगठनों को एक स्थायी ढांचे के रूप में लाने वाले ग्राम ही हैं जिसका आधार सिम्स के अनुसार कृषि है।”

श्री देसाई के अनुसार, “गांव ग्रामीण समाज की इकाई है, यह वह रंगमंच है जहां ग्रामीण जीवन का एक प्रमुख भाग स्वयं प्रकट होता है और कार्य करता है।

” प्रो. रवीन्द्रनाथ मुकर्जी के अनुसार, “गांव वह समुदाय है, जहां अपेक्षाकृत अधिक समानता, अनौपचारिकता, प्राथमिक समूहों को प्रधानता, जनसंख्या का कम घनत्व होता है।”

गाँव से आपका अभिप्राय

गाँव एक समुदाय हैं जिसमें वो समस्त विशेषताएँ पाई जाती हैं जो समुदाय होने के लिए •आवश्यक है। वे विशेषताएं इस प्रकार हैं। निश्चित भू-भाग, मानव-समूह, सामुदायिक भावना तथा सामान्य जीवन। इस दृष्टि से गाँव या ग्राम का तात्पर्य उस समुदाय से है जिसमें सामुदायिक भावना से ओत-प्रोत एक मानव-समूह एक निश्चित भू-भाग में रहकर एक सामान्य जीवन व्यतीत करता है। किन्तु समुदाय के ये तत्व तो अन्य प्रकार के समुदायों जैसे नगर, प्रदेश, राष्ट्र आदि में भी पाए जाते हैं फिर गाँव व ग्राम के वे कौन से विशिष्ट तत्व या विशेषताएँ हैं जिनके कारण उसे हम ग्रामीण समुदाय कहकर पुकारते हैं और अन्य समुदायों विशेष रूप से नगर समुदाय से पृथक करते हैं। इन सब तत्वों व विशेषताओं को लेकर ही वास्तव में ग्रामीण समुदाय व गाँव का निर्माण होता है। अतः हम संक्षेप में कह सकते हैं कि गाँव व ग्रामीण समुदाय का तात्पर्य उस समुदाय से है जिसमें कृषि ही मुख्य व्यवसाय, जनसंख्या का कम घनत्व, प्राथमिक समूहों की प्रधानता, अनौपचारिकता और कुछ सापेक्षिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक समानता हो।

ज्ञान क्या है? ज्ञान के स्रोत और प्रकार की विवेचना कीजिए।

भारतीय ग्रामों की मुख्य विशेषताएँ-

  1. एकाकीकरण या पृथकता और आत्मनिर्भरता ।
  2. सादगी शांति और चैनपूर्वक जीवन-यापन।
  3. रूढ़िवादी दृष्टिकोण।
  4. निर्धनता और निरक्षरता ।
  5. स्थानीय स्वशासन।
  6. शक्तिशाली परम्पराएँ।
  7. प्रकृति में विश्वास और लगाव ।
  8. भाग्यवाद में दृढ विश्वास ।
  9. अपरिवर्तनशील कार्यप्रणालियों।
  10. जनसंख्या की समरूपता।
  11. समुदाय का लघु आकार।
  12. श्रम का विशेषीकरण।
  13. कृषि ही प्रमुख व्यवसाय।
  14. सामुदायिक भावनाएँ आदि।

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