B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed. Economics

गरीबी क्या है? निर्धनता या गरीबी का अर्थ तथा निर्धनता/ गरीबी के कारण

निर्धनता का अर्थ उस सामाजिक स्थिति से है जिसमें समाज का एक भाग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को भी पूरी नहीं कर सकता है। जब समाज का एक बहुत बड़ा अंग न्यूनतम जीवन स्तर से वंचित रहता है और केवल जीवन निर्वाह स्तर पर गुजारा करता है तब कहा जाता है कि इस समय समाज में व्यापक निर्धनता विद्यमान है।

गरीबी एक विश्वव्यापी समस्या है। गरीबी एवं आय की विषमताएँ संसार के विकसित एवं विकासशील दोनों प्रकार के देशों में देखने को मिलती हैं। विकासशील देशों में गरीबी और आय की विषमताएँ अपेक्षाकृत अधिक हैं।

योजना आयोग द्वारा गठित विशेष दल के अनुसार, “ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2100 कैलोरी प्रतिदिन का पोषण प्राप्त करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है। समग्र रूप से 2500 कैलोरी प्रतिदिन युक्त भोजन को निर्धनता रेखा का आधार माना जाता हैं।

भारतीय समाज में शास्त्रीय दृष्टिकोण का वर्णन कीजिए।

निर्धनता/ गरीबी के कारण

  1. रोजगार में धीमी वृद्धि – एक तरफ जहाँ श्रमिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं उनके लिए रोजगार के अवसर उतनी तेजी से नहीं बढ़े। एक तरफ विकास की दर बीमी रही, दूसरी तरफ अपर्याप्त पूँजी निर्माण के फलस्वरूप अपेक्षित मात्रा में उत्पादक रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो सके। ऐसी स्थिति में गरीबी फैलना एक सामान्य बात है।
  2. जनसंख्या में भी वृद्धि – जनसंख्या में वृद्धि से गरीब लोगों के उपयोग स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। आबादी बढ़ने से प्रत्यक्ष रूप से ऐसे परिवारों की आर्थिक स्थिति को तो क्षति पहुँचती ही है, साथ में परोक्ष रूप से इसने बचत और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इससे आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ जाती है, जिससे गरीबी की समस्या बढ़ती ही जाती है।
  3. थोड़ी आय – देश में सम्पत्ति का वितरण बहुत असमान है। कृषि, जमीन, मशीन, अंश आदि सम्पत्तियाँ कुछ ही लोगों के पास हैं। पुनर्वितरण की दशा में जो भी प्रयास किये गये उनका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ पाया जिससे निर्धन व्यक्तियों की कुल आय में मजदूरी, भिन्न आय जैसे किराया, व्याज, लाभ आदि का योगदान नगण्य बना हुआ है।
  1. निम्न उपार्जन – जिन कार्यों में निर्धन व्यक्ति लगे होते हैं, वहाँ शोषण के कारण उनकी कमाई कम होती है। इस प्रकार कृषि क्षेत्र तथा छोटे प्रतिष्ठानों में काम करने वाले श्रमिकों को उचित मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है।

About the author

pppatel407@gmail.com

Leave a Comment