गबन के पात्र दयानाथ के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।

जैसा की आप सभी जानते हैं की हम आप सभी के लिए मुंशी प्रेमचंद के गबन उपन्यास से सम्बंधित बहुत सारे पोस्ट इस हमने लिखे हैं। आप सभी को इस आर्टिकल में गबन के पात्र दयानाथ के व्यक्तित्व के बारे में जानेंगे

गबन का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।

गबन के पात्र दयानाथ के व्यक्तित्व का वर्णन

ईमानदारी- दयानाथ रमानाथ के पिता हैं और कचहरी में पचास रुपये महीने पर काम करते हैं। वे सिद्धांतवादी हैं। उनकी नौकरी ऐसी है कि यदि चाहे तो सैकड़ों रुपये कमा सकते हैं किन्तु वे अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहते हैं और जब जौहरी बार-बार तकाजे करता है तब भी रिश्वत लेने को तैयार नहीं होते। इससे उनकी ईमानदारी व्यक्त होती है। इस ईमानदारी से प्रभावित होकर दीनदयाल उनके लड़के से अपनी लड़की का विवाह करने को तैयार हो जाते हैं।

सामर्थ्य से अधिक व्यय-रमा की शादी के अवसर पर पहले तो वह विवाह के लिए तैयार ही नहीं होते और जब तैयार हो जाते हैं तो सीमा से बढ़कर खर्च कर डालते हैं। इस समय के उनके भावों को प्रेमचंद ने इन पंक्तियों में व्यक्त किया है—“पहले जोड़े गहने का उन्होंने गौण समझ रखा था। अब वहीं सबसे मुख्य हो गया। ऐसा चढ़ावा हो कि मड़वे वाले देख कर फड़क उठें।”

हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद का आगमन महत्वपूर्ण घटना है। स्पष्ट कीजिए।

अन्तर्विरोध- दयानाथ के चरित्र में दो अन्तर्विरोधी प्रवृत्तियों का समन्वय मिलता है। एक ओर जहाँ वह ईमानदारी का ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, वहीं दूसरी ओर सत्य से आँख मूंद लेते हैं। उनके चरित्र की दुर्बलता वहां प्रकट होती हैं, जहाँ रमानाथ जालपा के गहने चुराकर, उनके हवाले कर देता है। पहले तो वह उसका विरोध करते हैं और चुप हो जाते हैं। इस • अन्तर्विरोध का कारण है रमा के विवाह पर सामर्थ्य से अधिक व्यय करना।

अध्ययनशीलता- दयानाथ को पढ़ने का शौक है। जब कभी वह परेशान होते हैं, पुस्तकालय चले जाते हैं और वहां पढ़कर अपना चित्त शांत करते हैं। इस प्रकार दयानाथ का चरित्र एक सामान्य व्यक्ति का साधारण चरित्र है जो मध्यमवर्गीय जीवन का प्रतिनिधि है। उनके चरित्र को एक स्थिर चरित्र कह सकते हैं क्योंकि आरम्भ से लेकर अन्त तक उनका जीवन प्रायः एक जैसा ही बना रहता है।

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