केन्द्र व राज्यों के शिक्षा सम्बन्धी अधिकार
‘संविधान के अनुच्छेद 246 में केन्द्र व राज्य सरकारों के शैक्षिक उत्तरदायित्वों तथा अधिकार क्षेत्र का भी स्पष्ट विभाजन किया गया है। इसके लिए संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियां बनाई गई हैं। प्रथम सूची, जिसे केन्द्र सूची भी कहते हैं, में दिये गये विषयों पर केन्द्र सरकार या संसद कानून बना सकती है। द्वितीय सूची, जिसे राज्य सूची भी कहते हैं, में दिये गये विषयों पर राज्य सरकार या विधान सभा कानून बना सकती है। तृतीय सूची, जिसे समवर्ती सूची भी कहते हैं, में दिये गये विषयों पर केन्द्र या राज्य दोनों ही कानून बना सकते हैं। परन्तु यदि केन्द्र या राज्य द्वारा बनाये कानूनों में मतभेद है तो केन्द्र का कानून वैध होगा तथा राज्य का कानून असंगतता की सीमा तक अप्रभावी हो जाता है। स्पष्ट है कि केन्द्र सूची में राष्ट्रीय महत्व के, राज्य में स्थानीय महत्व के तथा समवर्ती सूची में मिले-जुले विषय रखे गये है। संविधान की इन तीनों सूचियों में दिये गये अनेक विषय शिक्षा से सम्बन्धित हैं। संविधान की रचना के समय प्रथम सूची अर्थात् केन्द्रीय सूची की प्रविष्टि 13, 62, 63, 64, 65 व 66 में तथा द्वितीय सूची में की प्रविष्टि 11 व 12 में महत्वपूर्ण शैक्षिक अधिकार क्रमशः केन्द्र या राज्यों को दिये गये थे, जबकि तृतीय सूची अर्थात् समवर्ती सूची की प्रविष्टि 20 तथा 25 शिक्षा से सम्बन्धित थी।
ऐसा लगता है कि शिक्षा सम्बन्धी आवश्यकताओं व प्राथमिकताओं में स्थानीय व प्रान्तीय वैभिन्नता को ध्यान में रखकर भारतीय संविधान के रचयिताओं ने शिक्षा सम्बन्धी विभिन्न विषयों को केन्द्र तथा राज्य के अधिकार क्षेत्रों में बहुत ही विवेक से विभक्त कर दिया था। परन्तु बाद में चलकर शिक्षा की राष्ट्रीय प्रणाली की आवश्यकता महसूस होने लगी। सम्भवतः सम्पूर्ण राष्ट्र में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने तथा शिक्षा की गुणवत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर नियन्त्रित करने की दृष्टि से सन् 1977 में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा शिक्षा को राज्य सूची की प्रविष्टि 11 से हटाकर समवर्ती सूची की प्रविष्टि 25 में सम्मिलित कर दिया गया है। यहाँ यह इंगित करना उचित ही होगा कि 42वें संविधान संशोधन को 18 दिसम्बर, 1976 को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी परन्तु उसे 3 जनवरी, 1977 को जारी अधिसूचना के द्वारा लागू किया गया था।
जनता पार्टी की सरकार मार्च 1977 में सत्ता में आई थी जिसने 42 वें संशोधन के अनेक प्रावधान 43वें संशोधन के द्वारा समाप्त कर दिये परन्तु शिक्षा को समवर्ती सूची में लाने के प्रावधान को यथावत रखा। अतः अब शिक्षा के विषय में केन्द्र तथा राज्य दानों ही कानून बना सकते हैं। इस प्रकार से राज्यों के शिक्षा सम्बन्धी अधिकार समाप्त तो नहीं किये गये हैं। परन्तु केन्द्र इस सम्बन्ध में आवश्यकता पड़ने पर कानून बनाकर उनके अधिकारों में कटौती कर सकता है। वर्तमान समय में केन्द्रीय सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची में सम्मिलित किये गये शिक्षा सम्बन्धी विषय नीचे प्रस्तुत किये गये हैं।
केन्द्रीय सूची में सम्मिलित शैक्षिक विषय
प्रविष्टि-13- अन्तर्राष्ट्रीय सभाओं संघों तथा अन्य संस्थाओं में सहभागिता एवं वहाँ लिये गए निर्णयों का कार्यान्वयन
प्रविष्टि- 62- इस संविधान के लागू होने पर भारत सरकार द्वारा पूर्णतः या आंशिक रूप से पोषित राष्ट्रीय पुस्तकालय, भारतीय संग्रहालय आदि संस्थाएँ तथा संसद द्वारा अथवा उसके द्वारा बनाई विधि के अन्तर्गत घोषित राष्ट्रीय महत्व की ऐसी ही संस्थाएँ
प्रविष्टि- 63- इस संविधान के लागू होने पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय अनुच्छेद 371 के अनुसरण में स्थापित विश्वविद्यालय तथा संसद द्वारा घोषित अथवा उसके द्वारा बनाई विधि के अन्तर्गत राष्ट्रीय महत्व की उच्च शिक्षा संस्थाएँ।
प्रविष्टि 64- भारत सरकार द्वारा पूर्णतः या अन्तिम रूप से पोषित तथा संसद द्वारा अथवा उसके द्वारा बनाई विधि के अन्तर्गत घोषित राष्ट्रीय महत्व के वैज्ञानिक तथा तकनीकी संस्थान।
प्रविष्टि-65- पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण सहित वृत्तिक, व्यावसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण, अथवा विशिष्ट अध्ययन व अनुसन्धान को प्रोत्साहन अथवा अपराध की खोज व रोकथाम में वैज्ञानिक या तकनीकी मदद करने वाली केन्द्रीय संस्थाएँ ।
प्रविष्टि- 66 उच्च शिक्षा या अनुसन्धान के संस्थानों तथा वैज्ञानिक व तकनीकी संस्थाओं के मानकों का निर्धारण व समन्वय
प्रविष्टि 67 – संसद द्वारा अथवा उसके द्वारा बनाई विधि के अन्तर्गत राष्ट्रीय महत्व के घोषित प्राचीन व ऐतिहासिक स्मारक तथा अभिलेख एवं पुरातत्व स्थल व अवशेष।
राज्य सूची में सम्मिलित शैक्षिक विषय
प्रविष्टि-12- राष्ट्रीय महत्व के घोषित न किये गये तथा राज्य द्वारा नियन्त्रित या वित्तीय सहायता प्राप्त पुस्तकालय, संग्रहालय तथा अन्य संस्थाएँ प्राचीन व ऐतिहासिक स्मारक तथा अभिलेख ।
मानव अधिकार क्या हैं? विभिन्न मानव अधिकारों का वर्णन कीजिए।
समवर्ती सूची में सम्मिलित शैक्षिक विषय
प्रविष्टि 20- आर्थिक तथा सामाजिक नियोजन।
प्रविष्टि 25- केन्द्र सूची की प्रविष्टि 63, 64 व 65 तथा 66 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए शिक्षा, जिसके अन्तर्गत तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा व विश्वविद्यालय है, एवं श्रमिकों का व्यावसायिक तथा तकनीकी प्रशिक्षण
भारतीय संविधान में शिक्षा के सम्बन्ध में किये गये विभिन्न प्रावधानों के अवलोकन से स्पष्ट है कि संविधान के निर्माताओं ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए शिक्षा को जनसाधारण के कल्याण का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा शक्तिशाली साधन स्वीकार किया है तथा सभी को शिक्षा प्राप्ति के अधिकारों को स्पष्ट रूप से इंगित किया है परन्तु इन प्रावधानों के बावजूद केन्द्र व राज्य सरकारों की उदासीनता के कारण संविधान में किये गये यह सभी संकल्प अभी तक पूर्ण नहीं किये जा सके हैं। न तो निःशुल्क व अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा सभी को उपलब्ध हो सकी है और न ही हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप में विकसित किया जा सका है। इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक की समाप्ति की ओर अग्रसित भारत में आवश्यकता इस बात की है कि संविधान सभी की मूल भावनाओं को कम-से-कम अब तो समझा जाये एवं न केवल उसके अनुरूप वरन् इक्कीसवीं शताब्दी के वैश्विक परिवेश की आवश्यकताओं के अनुरूप सभी प्रकार की शिक्षा की समुचित ढंग से व्यवस्था की जाये।
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