जोहरा एक वेश्या के रूप में- जोहरा एक वेश्या है जिसे पुलिस वाले रमा के पास भेजते हैं ताकि वह रमानाथ के मन को बहलाती रहे। आरम्भ में वह वेश्या के रूप में ही रमानाथ के पास आती है। जब रमानाथ उससे वफा की बात करता है तो वह उत्तर देती है। “वहां आप लोग दिल बहलाने के लिए जाते हैं, महज गम गलत करने के लिए, महज आनंद उठाने के लिए। जब आपकी वफा की तलाश ही नहीं होती, तो वह मिले क्यों कर?” इन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि वेश्याओं की बेवफाई का कारण उनका स्वभाव नहीं वरन उनके पास जाने वाली की वासना ही है।
उपन्यास से आप क्या समझते हैं? इसका मूल्यांकन औपन्यासिक तत्वों के आधार पर कीजिए।
रमा के प्रति आकर्षण-
जोहरा का रमानाथ के प्रति प्रेम वासना की उपज नहीं वरन् शुद्ध और सात्विक है। और यह प्रेम रे-धीरे पल्लवित होने लगता है। यहां तक कि वह उससे निकाह पढ़वाने या विवाह करने की बात भी कह डालती है। इसका कारण यह है कि जोहरा को रमा के प्रेम में सच्चाई का आभास होता है और रमा की खातिर पुलिस को धोखा तर्क देने को तैयार हो जाती है।
जालपा का सात्विक प्रभाव-
जालपा के चरित्र ने जोहरा के चरित्र को काफी हद तक प्रभावित किया है। जालपा के चरित्र का सात्विक प्रभाव ही उसे नयी दिशा की ओर मोड़ता है। जब रमानाथ जालपा को दीन-हीन अवस्था में देखता है तो वह जोहरा से उसका पता लगाने को कहता है और यह चाहता है कि जोहरा उसे किसी तरह जालपा से मिलवा दे। जोहरा जब जालपा से मिलती है तो उससे इतनी प्रभावित होती है कि वह अपने जीवन को बिल्कुल बदल डालने का निश्चय करती है।
सेवा-भाव-
जोहरा में सेवा की भावना पूर्णरूप से विद्यमान है। जब रमा पुलिस के पंजे से छूट जाता है तो जोहरा, देवीदीन आदि एक साथ रहने लगते हैं। रतन से अनन्त प्रेम और विश्वास प्राप्त हो जाता है और उसने भी रतन की सेवा जी जान से की-
हिन्दी उपन्यास के स्वरूप एवं महत्व की विवेचना।
“आज साल भर से उसने रतन की सेवा शुश्रूषा में दिन को दिन और रात को रात नहीं समझा था। रतन ने उसके साथ जो स्नेह किया था, उस अविश्वास और बहिष्कार के वातावरण में जिस खुले निःसंकोच भाव से उसके साथ बहनापा निभाया था, उसका अहसान वह और किस तरह मानती।” रतन की मृत्यु से जोहरा के मन पर प्रबल आघात होता है और वह सदैव उदास रहने लगती है। एक दिन वह, रमा और जालपा गंगा के किनारे खड़े थे, तभी गंगा में एक किश्ती डूब गयी। एक स्त्री को बचाने के लिए जोहरा गंगा में कूद पड़ी लेकिन लौट नहीं पायी। यद्यपि जोहरा की मृत्यु पर उसका कोई सगा-संबंधी रोने वाला नहीं है फिर भी उसकी स्मृति पाठक को दुःख से द्रवित कर जाती है।
बोहरा का चरित्र एक गतिशील चरित्र है। आरम्भ में तो वह एक वेश्या के रूप में ही सामने आती है लेकिन उसने मन में पवित्र भावनाएँ सुप्त पड़ी रहती हैं। रमा के प्रेम और जालपा के चरित्र की पवित्रता के प्रवाह से सोई हुई सात्विक भावनाएं जाग उठती हैं और उसका जीवन बदल जाता है। इस प्रकार लेखक ने यह दिखाया है कि उपयुक्त वातावरण और अनुकूल परिस्थितियों के होने पर वेश्याओं का जीवन भी सुधर सकता है।
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