हेल्लो दोस्तों, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए हम प्रतिदिन नये नये आर्टिकल के साथ उपस्थित रहते हैं। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी के लिए जो महत्वपूर्ण जानकारी शेयर कर रहे हैं वह उदारवाद और उग्रवाद में अन्तर स्पष्ट करने से सम्बंधित है। इस आर्टिकल में आप के साथ उदारवाद और उग्रवाद के बारे में बात करेंगे ।
उदारवाद और उग्रवाद में अन्तर difference between liberalism and extremism
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(1) उद्देश्य
दोनों की विचारधाराओं में आधारभूत अन्तर था। उदारवादी या दक्षिणपंथी तथा उग्रवादी या वामपंथी दोनों ने ‘स्वशासन’ शब्द का प्रयोग किया था। दादा भाई नौरोजी तथा तिलक दोनों ने स्वराज्य की माँग की थी। लेकिन दोनों का आशय भिन्न था। उदारवादी ब्रिटिश शासन की छत्रछाया में प्रतिनिधि संस्थाओं की स्थापना चाहते थे और क्रमिक सुधारों से सन्तुष्ट थे। उग्रवादी भारतीयता पर आधारित स्वतन्त्रता चाहते थे और आवश्यक होने पर ब्रिटेन से सम्बन्ध विच भी चाहते थे।
(2) कार्य पद्धति
दोनों दलो की कार्य पद्धति में भी अन्तर था। उदारवादी अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास करते थे और संवैधानिक तरीकों से अपनी माँगें प्रस्तुत करना चाहते थे। उग्रवादियों को अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास नहीं था। वे संघर्ष का मार्ग अपनाते थे।
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(3) साधन
उदारवादी प्रार्थना पत्र निवेदन आदि को पर्याप्त समझते थे। उग्रवादी जन-आन्दोलन में विश्वास रखते थे। उदारवादी अंग्रेजों की कृपा चाहते थे। उग्रवादी भीख की अपेक्षा आत्मनिर्भरता चाहते थे और आन्दोलन में सार्वजनिक सभाओं, प्रदर्शन का आयोजन करते थे। वे समाचार पत्रों में सरकार की कटु आलोचना करते थे। बहिष्कार, स्वदेशी, असहयोग उनके अस्त्र थे।
(4) ब्रिटेन से सम्बन्ध
उदारवादी इंग्लैण्ड तथा भारत के हित समान मानते थे, सहयोग लाभप्रद समझते थे। उग्रवादी इंग्लैण्ड और भारत के हितों को परस्पर विरोधी मानते थे और सम्बन्ध विच्छेद चाहते थे।
(5) प्रेरणा
दोनों की प्रेरणा में भी मूलभूत अन्तर था। उदारवादी पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। उग्रवादियों की प्रेरणा का स्रोत प्राचीन भारत का गौरव था।
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(6) दृष्टिकोण
उदारवादी आरामकुर्सी की राजनीति में विश्वास देश-हित के लिये त्याग करने व कष्ट सहने के लिए तैयार थे।
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