ई-लर्निंग की प्रारम्भिक भूमिका को स्पष्ट कीजिये।

ई-लर्निंग की प्रारम्भिक भूमिका विगत वर्षों में ई बिजनेस (E-business) तथा ई-कामर्स (E-Commerce) जैसे शब्दों का सामान्य प्रयोग प्रारम्भ हुआ. इन्हीं शब्दों के साथ-साथ ई-लर्निंग भी विश्व पटल पर उभरा है। ई-लर्निंग को वेब-बेस्ड ट्रेनिंड (Web-Based Training) के नाम से भी जाना जाता है। ई-लर्निंग की अवधारणा नई नहीं है। इंटरनेट (Internet), कम्प्यूटर की सहायता से शिक्षण (CAI) तथा कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षण (CBT) आदि के पीछे भी ई-लर्निंग का अवधारण ही रही है।

सन् 70 के दशक में पर्सनल कम्प्यूटर (PC) CAI तथा CBT का प्रयोग अवश्य प्रारम्भ हो गया था, लेकिन अधिगम व प्रशिक्षण के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन ‘इंटरनेट’ के आगमन के साथ माना जा सकता है।

वर्धा शिक्षा योजना से आप क्या समझते हैं?

वर्तमान समय में ई-लर्निंग की दूसरी पीढ़ी (Second Generation) भी प्रकाश में आ चुकी हैं। आज ई-लर्निंग में केवल CAI तथा CBT ही नहीं बल्कि ई-लर्निंग के अंतर्गत CD ROM, मोबाइल फोन तथा व्यक्तिगत डिजिटल सहायता (Personal Digital Assistance) भी सम्मिलित हैं।

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