अवन्तिवर्मन के जीवन एवं उपलब्धियों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।

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अवन्तिवर्मन के जीवन – मौखरियों का अन्तिम शक्तिशाली राजा अवन्तिवर्मन (580-600 ई.) था। उसने विरासत में प्राप्त राज्य की सुरक्षा की। उसके राज्यकाल के किसी महत्वपूर्ण घटना की स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती। उसका शासनकाल शान्तिपूर्ण था परन्तु इससे उसकी प्रतिष्ठा में कमी नहीं आयी। मोखरियों और वर्द्धनों की मैत्री इस समय और अधिक प्रगाढ़ हुई हर्षचरित से विदित होता है कि मौखरियों को अभी भी सम्मान और प्रतिष्ठा की दृष्टि से देखा जाता था। इसीलिए प्रभाकरवर्द्धन ने अपनी पुत्री राज्यश्री का विवाह अवन्तिवर्मन के पुत्र ग्रहवर्मन (ग्रहवर्मा) के साथ कर दिया। बाण ने इस विवाह का उल्लेख किया है। वह मौखरियों की प्रशंसा भी करता है।

उसके अनुसार “मुखर सभी राजकुलों के प्रधान है, उनकी पूजा शिव के चरण के समान समस्त संसार करता है।” वर्द्धनों के दरबार में रहते हुए मौखरियों की यह प्रशंसा स्पष्ट करती है कि मौखरि इस समय शक्ति और प्रतिष्ठा में अद्वितीय थे मौखारियों और वर्द्धनों के वैवाहिक सम्बन्धों के महत्वपूर्ण राजनैतिक परिणाम निकले। इस सम्बन्ध ने दोनों राजकुलों को एक दूसरे के निकट लाकर उत्तर भारतीय राजनीति में थानेश्वर और कान्यकुब्ज के राज्यों को सर्वाधिक शक्तिशाली बना दिया।

पालवंश के संस्थापक गोपाल के विषय में आप क्या जानते हैं?

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