अवकाश के लिए प्रमुख शैक्षिक कार्यक्रम
अवकाश के समय की क्रियाओं का विद्यालय में उचित रूप से संगठन होना चाहिए तथा बालकों को अवसर मिलना चाहिए कि वह इन क्रियाओं में भाग लेकर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके।
प्रमुख शैक्षिक कार्यक्रम
- खेलकूद,
- कला शिक्षण,
- संगीत शिक्षा,
- बालचर आदि,
- चलचित्र,
- वन विहार एवं सरस्वती यात्राएँ,
- नाट्य शिक्षा,
- स्वास्थ्य शिक्षा
- साहित्यिक क्रियाएँ,
- 10. समाज सेवा,
- अवकाश गृह,
- रुचिकार्य,
- पाठ्य सहगामी क्रियाएँ।
1. खेलकूद
खेलकूद बालकों के शारीरिक विकास तथा मनोरंजन के लिए अति आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। खेलकूद सभी प्रकार के होने चाहिए जिससे खेलने की क्रियाओं द्वारा शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिक एवं सामाजिक विकास होते हैं। इन खेलों द्वारा व्यक्ति में सहयोग आत्मानुशासन आदि गुणों का विकास होता है विद्यालयों का यह दायित्व है कि छात्रों के लिए उचित प्रकार के खेलों की व्यवस्था करें ताकि वह आगे भविष्य में भी अपने अवकाश का सदुपयोग कर सके।
2.कला शिक्षण-
अवकाश के समय दी जाने वाली कला शिक्षा यह ध्येय नहीं होना चाहिए कि वह कलाकार तैयार करे वरन् छात्रों के खालीपन का अवलोकन करने की इच्छा की पूर्ति कर सके। छात्रों में प्रकृति को परखने की शक्ति उत्पन्न कर सके। ताकि छात्र संसार के भद्देपन को दूर कर सके।
3.संगीत शिक्षा-
संगीत के अभाव में जीवन एक दम नीरस हो जाता है संगीत ही आत्मप्रकाशन व आत्माभिव्यक्ति के मार्गान्तरीकरण का एक सरल साधन है। इसके द्वारा अवकाश के समय का सदुपयोग किया जा सकता है। विद्यालयों में संगीत शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।
4. बालचर एन.सी.सी. आदि
ये क्रियाएं छारों में विशेष प्रकार की रुचियों एवं योग्यताएँ उत्पन्न करती है। इन क्रियाओं द्वारा बालकों में अनेक प्रकार के गुणों का विकास होता है। जैसे परोपकार, सहयोग, स्फूर्ति, कर्मसत, सेवाभाव, कार्यक्षमता, चतुरता, विनय, समाज सेवा, अनुशासन आदि। ये समस्त क्रियाएँ बालक के सर्वांगीण विकास में अपना विशेष सहयोग प्रदान करती है।
5.चलचित्र
चलचित्र अवकाश व्यतीत करने का एक आसान एवं लोकप्रिय साधन है। यह लगभग तीन घंटे की होती है। यह एक ऐसा साधन है कि जिससे समाज को शिक्षित किया जा सकता है। शिक्षाप्रद सिनेमा बालक के व्यक्तित्वं पर अच्छा प्रभाव डालते है।
6. वन विहार एवं सरस्वती यात्राएं
विद्यालय में वन-विहार, सरस्वती यात्राएँ एवं उल्लास भ्रमण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन स्थलों का भ्रमण करना चाहिए ताकि उसे अपूर्व आनंद की अनुभूति हो। इससे छात्र के स्फूर्ति, ज्ञान और शक्ति आदि का आगमन होता है।
7.नाट्य-शिक्षा-
नाट्यशिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए इससे बोलक अभिनय में रुचि लेकर हर एक परिस्थिति को समझने का प्रयास करते हैं। नाटक द्वारा व्यक्ति अपने को व्यक्तित्व की संकीर्णता से निकालकर बाहर आता है और जीवन की वास्तविकता को भी समझने का प्रयास करता है। इससे बालक में सामाजिक, आत्मप्रदर्शन, मानसिक स्वास्थ्य जैसे गुण विकसित होते हैं तथा इससे भी अवकाश के समय का सदुपयोग होता है।
8.स्वास्थ्य शिक्षा-
विद्यालयों में स्वास्थ्य शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि वह स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण रूप से सजग रह सके। स्वास्थ्य सम्बन्धी सर्वेक्षण से पता लगा है कि लगभग 70-75 प्रतिशत व्यक्ति किसी-न-किसी रूप से अस्वास्थ्यता के शिकार है।
9.साहित्यिक क्रियाएँ
विद्यालयों में विभिन्न प्रकार की साहित्यिक क्रियाओं का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि वे न केवल अपने ज्ञान की अभिवृद्धि कर सके बल्कि वे अपने भावों की अभिव्यक्ति भी कर सके।
10.समाज सेवा –
विद्यालयों में समाज सेवा सम्बन्धी शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि वे अपने अवकाश के समय में इसका उपयोग कर सके। इससे छात्रों में समाज के प्रति प्रेम, सद्भावना, परोपकार, सेवा, सहयोग, सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों का विकास होता है।
11. अवकाश गृह
अपने देश में इनका अभाव है। कुछ बड़े शहरों में ये यदा-कदाकहीं-कहीं देखने को मिल जाते हैं। यदि इनका विकास किया जाय तो लोग एक स्थान पर न केवल मिल सकेंगे बल्कि एक-दूसरे को समझ सकेंगे। एक-दूसरे से अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकेंगे। इसमें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना को प्रोत्साहन मिलेगा।
12. रुचिकार्य
रुचिकार्य अर्थात् ऐसा कार्य हो जो रुचिकर्ता किया जाए। रुचिकाय से अवकाश के समय का सदुपयोग बहुत ही सुंदर ढंग से किया जाता है। ये कार्य छात्र को मनोरंजन के साथ-साथ अच्छे अनुभव भी प्रदान करते हैं। प्रो. रंगनाथन के अनुसार, “यदि किसी व्यक्ति का मुख्य व्यवसाय चिकित्सा कार्य है तो चिकित्सा शास्त्रों का विस्तृत एवं गहन अध्ययन उसका रुचिकार्य नहीं हो सकता। इसके विपरीत वे अपनी बात के पक्ष में तर्क करते हैं। कि ऐसा असंगत है, अमानवीय है क्योंकि व्यक्ति की उस व्यवसाय के प्रति महान घृणा हो जायेगी था उदासी छा जाती है।”
सबके लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं ? इसके अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य की विवेचना कीजिये।
13.पाठ्य सहगामी क्रियाएँ
अवकाश के समय के दुरुपयोग के लिए प्रत्येक विद्यालय को पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करना चाहिए क्रियाओं की संख्या व विविधता का ध्यान रखते समय छात्रों की संख्या व स्कूल की आवश्यकता भी ध्यान में रखनी चाहिए। यूं तो उपरोक्त सभी क्रियाएँ इसमें शामिल हैं।
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