नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी? दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हैं की हम आप सभी के लिए प्रतिदिन प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित विशेष जानकारियां शेयर करते रहते हैं। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में जो विशेष जानकारी आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं वह अखिल भारतीय कांग्रेस (1907) में ‘सूरत की फूट‘ के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण जो आप सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को एक बार अवश्य पढने चाहिए। आप इस आर्टिकल को पूरा पढने हम आर्टिकल शेयर कर रहे हैं जिसे आप पढ़ें और अपनी आगामी होने वाली परीक्षा के लिए तैयार हो जाइये।
उदारवादी काँग्रेस का प्रमुख अधिवेशन Major Sessions of the Liberal Congress
अखिल भारतीय कांग्रेस (1907) में ‘सूरत की फूट’ के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण-
बीसवीं शताब्दी का आरंभ होने तक कांग्रेस दो समूहों में विभक्त हो गयी थी जो नर्मदल या मितवादी और अतिवादी (उग्र राष्ट्रवादी) के नाम से विख्यात है। इनके बीच विवाद को बढ़ाने में स्वदेशी व बहिष्कार के कार्यक्रम को विशेष बताया जाता है जिससे अंततोगत्वा कांग्रेस का विभाजन हो गया।
गोखले और लोकमान्य तिलक नर्मदल तथा गर्मदल के अग्रणी नेता थे। गोखले विद्यमान संविधान में सुधार के पक्ष में थे, तिलक इसका पुनर्निर्माण चाहते थे। गोखले को अनिवार्यरूपेण नौकरशाही के साथ कार्य करना था, तिलक को अनिवार्यत: उसके साथ लड़ना था…. गोखले दूसरे की सहायता पर निर्भर थे, तिलक स्वावलम्बन पर। गोखले का झुकाव उच्च वर्गों तथा बौद्धिकजनों की ओर था, तिलका का जनसमुदाय की ओर गोखले का लक्ष्य स्वशासन था जिसके लिए जनता को अंग्रेजों द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप तैयार होना था। तिलक का लक्ष्य स्वराज था जो प्रत्येक भारतीय का जन्मसिद्ध अधिकार था। गोखले अपने युग के स्तर पर थे, तिलक अपने समय से आगे थे। पं. नेहरू ने भी लोकमान्य तिलक के बढ़ते प्रबल प्रभाव का उल्लेख किया है। अनेकानेक नर्मदलीय कांग्रेसी भी ब्रिटिश न्याय – भावना में विश्वास गँवाने और गर्मदल (उग्र राष्ट्रवाद) की ओर झुकने लगे थे। किन्तु सामान्य रूप से नर्मदलीय नेता बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा के कार्यक्रम से पूरी तरह सहमत नहीं थे। उनके प्रभावस्वरूप ही 1905 की बनारस कांग्रेस में कांग्रेस का उद्देश्य ‘औपनिवेशिक प्रकार का स्वशासन’ बताया गया।
नेल्सन के निम्न सन्तुलन पाश सिद्धान्त से क्या आशय है ?
नर्मदल निष्क्रिय प्रतिरोध तथा राजनीतिक स्वतंत्रता से सम्बन्धित उग्रवादी सिद्धान्तों से असहमत था। इन विचारों को वह अव्यावहारिक तथा हानिकर मानता था। गोखले की सम्मति में स्वतंत्रता का विचार करना था इसकी बात करना पागलों का ही काम था। लम्बे समय तक ब्रिटिश शासन का कोई विकल्प नहीं था और संवैधानिक आन्दोलन ही राष्ट्रीय आन्दोलन का समुचित एवं प्रभावी रूप था, शायद तत्कालीन परिस्थिति में यह सम्मति सही थी और लोकमान्य का विचार भविष्य के लिए उचित था।
नर्मदल और गर्मदल के बीच मतभेद 1904 के कांग्रेस अधिवेशन में नहीं उभरा। 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेश में (जिसके अध्यक्ष गोखले थे) एक समझौता हुआ। 1906 के कलकत्ता अधिवेशन (जिसके अध्यक्ष दादाभाई नौरोजी थे) में दोनों धड़ों के बीच दरार चौड़ी होती दिखाई दी। अधिवेशन की पूर्वसंध्या पर लोकमान्य तिलक ने कांग्रेस की ढुलमुल गतिविधियों में आस्था न रहने का उल्लेख किया, अन्तिम लक्ष्य के प्रति उनकी आस्था अभी कायम थी। भारत सचिव मार्ले से वार्ता के माध्यम से गोखले का बंग-भंग को रद्द करने का प्रयास विफल हो गया। था जबकि ‘बर्क’ के श्रद्धालु शिष्य, मिल के अनुयायी, ग्लैडस्टन के मित्र एवं जीवनी लेखक जॉन मार्ले के भारत सचिव पद पर आरूढ़ होने तथा 1905 के चुनावों में उदार दल की विजय से नर्मदलीय कांग्रेसी अत्यन्त आशान्वित थे। फलत: नर्मदलीय नेता निराश थे। अक्टूबर 1906 में रमेशचन्द्र दत्त ने कहा कि जनता पर नर्मदल का प्रभाव घट रहा था और गर्मदल के प्रभाव बढ़ने के अवसर बढ़ रहे थे। बंग-भंग इस जन-असंतोष का प्रधान कारण था। वाइसराय मिण्टो स्वयं इस तथ्य से अवगत था और गर्मदल की प्रभाववृद्धि से आशंकित भी। 1905 में रूस के विरुद्ध जापान की विजय से गर्मदल का मनोबल और बढ़ गया था।
व्यापार चक्रों के कारण स्पष्ट कीजिए।Explain the reasons for business cycles
कांग्रेस के 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में दोनों धड़ों के बीच शक्तिपरीक्षण की स्थिति उत्पन्न हुई परन्तु, दोनों द्वारा सम्मानित दादाभाई नौरोजी के अध्यक्ष चुने जाने से, यह टल गया। उन्होंने ‘संयुक्त राज्य या उपनिवेशों जैसा स्वशासन अथवा स्वराज’ को कांग्रेस का लक्ष्य घोषित कर गर्मदल को तुष्ट करने का प्रयास किया। यद्यपि इससे उनका आशय पूर्ण स्वतंत्रता से था या औपनिवेशिक स्वशासन यह अस्पष्ट था। नर्मदल इसे स्वशासन मानता था और गर्मदल पूर्ण स्वायत्तता जो विदेशी शासन से स्वतंत्र हो। इस अधिवेशन में स्वदेशी, बहिष्कार तथा राष्ट्रीय शिक्षा सम्बन्धी प्रस्ताव भी पारित किये गये। 1906 के इस अधिवे में बंगभंग तथा स्वदेशी और बहिष्कार से सम्बन्धित प्रस्तावों (बारहवाँ व तेरहवाँ प्रस्ताव) पर टकराव प्रस्तावों में संशोधन से टल तो गया परन्तु उसका अन्त नहीं हुआ। शीघ्र ही स्वदेशी सम्बन्धित प्रस्ताव के सन्दर्भ में तीव्र मतभेद उठ खड़े हुए। जबकि नर्मदल इसे प्रथमत: एक आर्थिक हथियार के रूप में देखता था वहीं गर्मदल इसे राजनीतिक के साथ ही आध्यात्मिक हथियार, एक धार्मिक विधि (कल्पाचार) के रूप में देखता था जिसका उद्देश्य ‘अपनी सहायता स्वयं • करने की प्रवृत्ति, दृढ़ संकल्प एवं त्याग-बलिदान’ की भावनाओं को विकसित करना था। कांग्रेस के दोनों पक्षों में पद्धति के सम्बन्ध में भी मतभेद स्पष्ट था।
लौकिकीकरण का अर्थ एवं कारण Meaning and causes of secularization
1907 के प्रारंभ से ही नर्मदल अपने पक्ष का प्रचार करने लगा। जनवरी में आनन्द भवन, इलाहाबाद में नर्मदल की एक बैठक में तय किया गया कि पं. मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक प्रांतीय सम्मेलन आयोजित किया जाए। 1907 में कांग्रेस का तेइसवाँ अधिवेशन पहले नागपुर आयोजित करना तय किय गया था जो गर्मदल का गढ़ माना जाता था। किन्तु नवम्बर में सूरत में अधिवेशन बुलाने का निर्णय लिया गया जिसे नर्मदलीय नेता अपने लिए सुरक्षित मानते थे।
अतः सूरत अधिवेशन में दोनों गुटों के बीच शक्ति परीक्षण को टाला नहीं जा सका। गर्मदल लोकमान्य तिलक या लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में था परन्तु नर्मदल ने रासबिहारी घोष (1845-1921) को अध्यक्ष मनोनीत कर दिया। अब विवाद ने कलह का रूप धारण कर लिया। समझौते का हर प्रयास विफल रहा। अधिवेशन की शुरुआत से ही स्थिति नियंत्रण के बाहर हो गयी। कांग्रेस अधिवेशन प्रारंभ होने पर (2 दिसम्बर) मनोनीत अध्यक्ष के नाम की घोषणा होते ही, गर्मदल ने उग्र रूप धारण कर लिया। बैठक स्थगित कर दी गयी। अगले दिन की बैठक में लोकमान्य तिलक को अध्यक्ष के मनोनयन के सन्दर्भ में बोलने से रोका गया जिसके फलस्वरूप उनके समर्थकों ने उत्तेजित होकर उपद्रव आरम्भ कर दिया। पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। कांग्रेस अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।
विकासशील देश तथा अल्पविकसित देश की क्या विशेषताएँ हैं।
तत्काल नर्मदलीय नेताओं की बैठक में कांग्रेस का नया संविधान निर्मित करना तय किया गया। इसके लिए गठित समिति की बैठक 18 और 19 अप्रैल 1908 को इलाहाबाद में हुई- इसके प्रथम अनुच्छेद में कांग्रेस का लक्ष्य वैसी ही शासन प्रणाली हासिल करना बताया गया जैसी ब्रिटिश साम्राज्य के अन्य स्वशासी उपनिवेशों में थी। भारत इन के समान दर्जे के साथ, साम्राज्य के अधिकारों व कर्तव्यों में भाग लेता। ये उद्देश्य संवैधानिक तरीकों से पूरे किये जाते- प्रशासन की विद्यमान प्रणाली में सुस्थिर सुधारों के द्वारा, राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित कर सार्वजनिक चेतना को जागृत कर, तथा देश के बौद्धिक, नैतिक, आर्थिक और औद्योगिक संसाधनों को विकसित तथा संगठित करके कांग्रेस की सदस्यता इसकी स्वीकृति पर आधारित थी। फलत: गर्मदल कांग्रेस से अलग हो गया और कांग्रेस्स पर नर्मदल का प्रबल प्रभुत्व स्थापित हो गया जो लगभग 1915 तक बना रहा।
- InCar (2023) Hindi Movie Download Free 480p, 720p, 1080p, 4K
- Selfie Full Movie Free Download 480p, 720p, 1080p, 4K
- Bhediya Movie Download FilmyZilla 720p, 480p Watch Free
- Pathan Movie Download [4K, HD, 1080p 480p, 720p]
- Badhaai Do Movie Download Filmyzilla 480p, 720p, 1080, 4K HD, 300 MB Telegram Link
- 7Movierulz 2023 HD Movies Download & Watch Bollywood, Telugu, Hollywood, Kannada Movies Free Watch
- नारी और फैशन पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- बेबीलोन के प्रारम्भिक समाज को समझाइये |
- रजिया के उत्थान व पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।